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प्यारी बहना


"प्यारी बहना"

क्या लिखूं उसके बारे में वह रिश्ता का बड़ा अंबर है,
इन सारे मानवीय रिश्तों में वह बड़ा समंदर है।
क्या लिखूं उसके बारे में वह है हवाओं का फ़साना,
या है परियों का पहला गहना,
वह है आसमान में तारों का टिमटिमाना।
सूरज की कड़कड़ाती धूप में है वह छांव का बहाना,
बस यही है कहना हे प्यारी मेरी बहना।
मुझे चोट लगती तो वह अपने नन्हें हाथों से उस चोट पर हाथ फेरती और कहती दुख रहा है,
मेरी कमीज को गीला करके फिर सुखाती और कहती अभी गीला है सूख रहा है।
फिर शहर आया तो पापा से झगड़कर कॉल करवाती,
भैया आप वापस कब आओगे बस यही मुझसे पूछती।
जब मैं गांव जाता तो मेरे लिए तोहफा नहीं लाऐ इस बात पर रूठ जाती,
इस बार लाऊंगा कहते-कहते ही फिर मान जाती।
उसकी इस निश्छलता को देख कर मेरी आंख भर आती,
मैं इन आंशुओं को अपने दिल में छुपाता बस यही कहता ले बांध मेरी प्यारी बहना राखी।
अब गम यह नहीं है कि तू मेरे पास नहीं है,
ससुराल में तू खुश रहना बस दुआ यही है।
क्या लिखूं इस सांसारिक अंधकार में तू मेरे लिए प्रकाश की किरण रही है।
परीक्षा में परिणाम कैसा रहेगा इस बात को मेरे सोचने पर तू मेरा दिल बहलाती,
जब भी मैं मंजिल की राह में गिरने लगता तू मेरा साहस बढ़ाती।
लेकिन क्या लिखूं यह मेरी मजबूरी है,
हमारे बीच अब जो दूरी है।
क्या लिखूं अब तू ही तो मेरा श्रंगार तू ही मेरा गहना है,
क्या कहूं यही तो मेरा कहना है बस तू ही प्यारी बहना है।
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क्यों मैं 18 का हो गया


 क्यों मैं 18 का हो गया



कल रात मै सोने जा रहा था,
कल रात मैं सोने जा रहा था,
जब मैं 18 को होने जा रहा था।
दो दोस्त अचानक कमरे में आए,
दो दोस्त अचानक कमरे में आए,
और कहने लगे अभी कहां सोने जा रहा है,
तू अभी थोड़ी देर बाद 18 का होने जा रहा है।
उनकी बात पूरी कहां हुई थी अभी,
अचानक एक और दोस्त कमरे में घुसा आया तभी।
साथ में लेकर आया केक,
और था साथ में चाकू एक।
कहने लगा अब देर मत कर केक काट तू,
और जोर से गाने लगे हैप्पी बर्थडे टू यू।
सभी लोग मना रहे थे खुशियां,
लेकिन मेरा मुंह तो ऐसे ही पिचका हुआ था जैसे हूं मैं 90 साल की बुढ़िया।
पता नहीं क्यों मन में एक उदासी छाई थी,
यह बात मैंने किसी को नहीं बताई थी।
अब याद रहा वह बचपन जो न जाने कहां सो गया,
जवानी के इस प्रकाश में बचपन कहां खो गया।
वह गलियों में घूमने के दिन याद आने लगे,
दोस्तों के संग बचपन की बातों के दिन अब सताने लगे।
अब मैं 18 के इस अहसास को लेकर सो गया,
लेकिन अंत में मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि क्यों मैं 18 का हो गया।
क्यों मैं 18 का हो गया।
क्यों मैं 18 का हो गया।
Written By रामकंवार पारासरिया
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राजस्थानी गायन ( तानसेन के सुर )


राजस्थानी गायन तानसेन के सुर


तानसेन भारतीय संगीत जगत में तानसेन नाम अमर है । वह इतना अच्छा और मधुर गाते थे कि वह अपने गायन से वर्षा को भी प्रकट कर देते थे । जब कभी भी अकबर के राज्य मैं अकाल पड़ता था या कम वर्षा होती तो तानसेन ऐसी राग गाते के बिना बादल ही वर्षा हो जाती थी । चलिए छोड़िए वह तो उस जमाने की बात है लेकिन राजस्थानी संगीत में आज भी कहीं ना कहीं तानसेन का सुर मौजूद है । उस संगीत में तानसेन आज भी जिंदा है तानसेन जब गाते थे तो वर्षा होती थी । ऐसे ही कुछ पिछले 2 वर्षों में राजस्थान में हो रहा है तानसेन की ही भांति राजस्थान के दो महान गायकों ने अपनी मधुर आवाज में पिछले 2 वर्षों में दो ऐसे गाने गाए कि इंद्र देव को राजस्थान की धरती पर मेहरबान होना पड़ा। पिछले वर्ष तो "अनिल सैन" का गाना "बरस बरस मारा इंदर राजा" इंद्र देव को इतना पसंद आया फिर लगातार 7 दिनों तक वर्षा हुई तथा जब अधिक वर्षा यानी अतिवृष्टि हुई तो फिर से एक गाना गाया तो इंद्रदेव ने उनकी पुकार सुनी तथा वर्षा रुक गई और किसानों को अकाल से छुटकारा मिला बात करते हैं ।
इस साल के सुप्रसिद्ध गाने की इस साल भी कुछ ऐसा ही हुआ "गजेंद्र अजमेरा" का गाना "इंद्राणी" जो इंद्रदेव को राज आया और राजस्थान की इस पावन धरती पर वर्षा की फुहार बरसा दी। इन दोनों गायकों के गानों को इत्तेफाक भी कह सकते हैं लेकिन किसानों का इन दोनों पर उपकार है जो इनके गायन के कारण वर्षा हुई है। और यदि आगे भी ऐसा हुआ तो किसान इन दो गायक को सदियों तक याद रखेंगे। शायद यह कहना मुश्किल नहीं होगा कि यह दोनों गायक तानसेन का ही रूप है या इनके गले में तानसेन के ही सुर है । मैं और सारे किसान इन्हे सलाम करते हैं तथा इनका बहुत उपकार है किसानों पर जो पिछले साल संकट की घड़ी में वर्षा हुई । तथा अन्य आशा करते हैं कि यह आगे भी ऐसी ही मधुर आवाज में गाए।
रामकंवार पारासरिया
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हत्या एक पड़ोसन

हत्या एक पड़ोसन

यह कहानी एक लड़के की है जो एक पुलिस वाला बनना चाहता है| वह एक भयानक सपने के बारे में बताता है| कल रात एक सपना आया था| सपने में एक सुंदर औरत आयी और जगाने लगी|
 सपने में आँखे खुली और में उसे देखता ही रहा लेकिन क्या पता था जितनी सुंदर वह हे उससे भी भयानक उसका नाम होगा| मैंने पूछा की आप कौन ? वह बोली मै आपकी पड़ोसन | मै बोला आपको पहले कभी नही देखा| वह बोली कल ही आयी हूँ आपके पडोसी की मर्त्यु के साथ | मैंने कहा मै कुछ समझा नही | वह बोली मेरा नाम हत्या है कल आपके पडोसी ही हत्या हुई थी | उसकी यह बात सुन कर वह डर जाता है| वह औरत बोलती है की तुम डरो मत मै तुमे कुछ नही करुँगी मुझे तुम से कुछ मदद चाहिय | वह बोला कैसी मदद | और वह औरत गायब हो जाती है| अचानक उसकी आँख खुलती है उसका मन एकदम अशांत है|
आज कल हमारे देश में इतनी हत्या हो रही है की लोगो को अब हत्या खुद सपने में आकर बोल रही है| तथा अब तो इतना डर लग रहा है की कही हत्या हमारे पड़ोस में तो नही है क्या पता कब वह दीवार फांद कर हमार ऊपर आ जाये | आज हर कोई छोटी सी लड़ाई के कारण एक दुसरे का खून पिने पर उतारू हो जाते है | क्यों वह भी तो हमारी तरह इंशान ही है |

To be continued…………………….
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Scince के फन्डे

Scince के फन्डे 
पता नही क्यों कल शाम मेरे दोस्तों के साथ बैठते वक्त ऐसा लगा की मुझे यहां से चले जाना चाहिये। पर नही इनका दिल टूट जाऐगा। 
मेरा मन इसलिए ऐसा सोच रहा था क्योंकि कल सुबह मेरे दोस्त कमल ने मुझे कॉल किया और कहा भाई हमारे कमरे की तरफ कब आओगे।( सोचा की आज चलते है। ) और मै बोला शाम को आता हूँ।शाम को करीब 6 बजे मै उनके रूम पर गया। वहाँ मेरे चार दोस्त थे। उनके exam चल रहे थे। b.sc. के। और वह चारों b.sc. के student थे । मैंने चारो को बोला आओ चारो बातें करते है। तभी कमल ने कहा पढ़ते है। 
मैंने कमल से कहा - "कहाँ तक पढ़ा"?
कमल बोला-"7 पाठ पढ़े"      
मै बोला -" चल कुछ que. पूछता हूँ"( मैंने que. पूछने शुरू कीये)
मैंने एक que पूछा तो वह उस que. को लेकर कंफ्यूज़ था। तो मैंने उन चारो में से किसी एक को बताने को बोला।  अब वह चारो आपस में डिस्करशन करने लगे । अब में उन चारो का मुंह ताक रहा था( जैसे कोई भूखा भोजन के लिए किसी का मुंह ताक रहा हो) । वह साइंस के कुछ वैज्ञानिकों के नाम बोल रहे थे तो मैं उनका मुंह ताकने लगा और सोचने लगा क्या बात है यार इतने कठिन नाम इन को याद है। वह ऐसे बोल रहे थे जैसे मेरे सामने TV में साइंस की डॉक्यूमेंट्री चल रही हो और यह देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा। हमें विज्ञान ने बहुत कुछ दिया है और आज का युग विज्ञान और तकनीकी का युग है तो सोचो उन का बोलना मुझे अच्छा क्यों नहीं लगता। मुझे पता नहीं चला कि वह क्या बोल रहे थे लेकिन बहुत अच्छा लगा । फिर मैं वापस अपने रूम की तरफ आ गया और रास्ते में आते आते सोच रहा था साइंस के फंडे अलग ही है! 
रामकंवार पारासरिया 
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