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चर्चा kunwaro tabriyo की

अभी दो दिन पहले राजस्थानी गायक अनिल जी सेन का एक धमाकेदार गाना रिलीज़ हुआ| वैसे 2 साल पहले  अनिल जी का गाना इंद्र राजा बड़ा ही हिट हुआ| उसके बाद करीब करीब कई गाने हिट हुए लेकिन हल ही में रिलीज़ 'कवारो ताबरियो' ने तो इन्टरनेट पर धूम मचा दी| इस गाने ने करीब दो दिनों में ३ लाख दर्शकों ने देखा तथा यह गाना पहले दिन विश्व भर में 43 नंबर पर तथा दुसरे दिन २२ की ट्रेंडिंग पर आ गया| हालाँकि गाने के बोल 5 दशक पुराने है जिसे कालूराम प्रजापत ने लिखे लेकिन अनिल जी की आवाज और रेम्मो के म्यूजिक ने गाने के बोल में एक नयी जान भर दी | गाने में रेप भी डाला गया है| और गाना कवारो को पूर्ण रूप से समर्पित है|
इस गाने का सबसे अच्छा बोल   "कोड कारूला मोद करुला जद सुण सु ला जान्जरियो" बड़ा ही प्यारा है और कवारो के दिल में घर कर जाता है ज्यादा कुछ इस गाने के बारे में बोलने की जरुजत नही है आप खुद ही सुण ले
https://www.youtube.com/watch?v=-CzyJWHT7Dg&t=144s

रामकंवार पारासरिया
लेखक अर लिरिक्स ऑफ़ राजस्थानी सोंग्स 
8696170664

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मायड़ भाषा एक अनशन

राजस्थान खुद रे माई एक न्यारी प्रतिभाहै। अठा रा लोग न्यारा,गांव न्यारा,पहनाव न्यारो अर शिक्षा न्यारी। अर सबसु न्यारी अठा री भासा राजस्थानी एकदम न्यारी 10 करोड़ लोगां री आ भासा जकी ने हलताई मान्यता नी मिली। राजस्थान रा ट्रेडिशनल अर फ़ोक गाणा री तो भात ई न्यारी है। आज रा जुग माई राजस्थान रा ट्रेडिशनल अर फोक गाणा देश अर विदेशा माई गणा ई भाजे है। घूमर अर कालबेलिया नाच सबसु न्यारो है। राजस्थानी रो स्वागत गीत केसरिया बालम आवो नी थे पधारो म्हारे देश ने सुण अर विदेशी पर्यटक भी एकदम राजस्थान री संस्कृति रे माई मन ही मन खो ज्यावै। विदेशी पर्यटक अठा री संस्कृति रा क़ायल है। पुष्कर जेड़ा पवित्र धाम अठे। काले री एक गानो रा कुछ बोल म्हारे कानडे म्है भड़िया तो मने गणों ही सुहावनो लाग्यो। बे बोल म्हे आपरे सामी राखु "लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झूमा ऐ,
 मारो गोरबंद नखरालो,
 आलीजा मारो गोरबंद नखरालो"
 "मूछा मारी शान है जूती सूं पहचान है"
एड़ा कई गीत अठा री संस्कृति री पहचान है
पण आपणो दुर्भाग्य है के हलताई आपणी भासा ने सरकार मान्यता कोनी दिवि। अमरीका अर सयुंक्त राष्ट्र ने भी राजस्थानी भाषा ने अंतरराष्ट्रीय भासा रो दर्जो दियो। नेपाल रे माई राजस्थानी ने मान्यता है पण भारत मे राजस्थानी ने मान्यता कोनी। पण देवकिशन जी राजपुरोहित ने अनशन शुरू कर अर राजस्थानी भासा ने मान्यता सारू एक बहुत बड़ी हुंकार भरी है अब जाणा राजस्थानी ने मान्यता मिल ज्यासी।
जै जै राजस्थानी
रामकंवार पारासरिया
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