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चर्चा kunwaro tabriyo की

अभी दो दिन पहले राजस्थानी गायक अनिल जी सेन का एक धमाकेदार गाना रिलीज़ हुआ| वैसे 2 साल पहले  अनिल जी का गाना इंद्र राजा बड़ा ही हिट हुआ| उसके बाद करीब करीब कई गाने हिट हुए लेकिन हल ही में रिलीज़ 'कवारो ताबरियो' ने तो इन्टरनेट पर धूम मचा दी| इस गाने ने करीब दो दिनों में ३ लाख दर्शकों ने देखा तथा यह गाना पहले दिन विश्व भर में 43 नंबर पर तथा दुसरे दिन २२ की ट्रेंडिंग पर आ गया| हालाँकि गाने के बोल 5 दशक पुराने है जिसे कालूराम प्रजापत ने लिखे लेकिन अनिल जी की आवाज और रेम्मो के म्यूजिक ने गाने के बोल में एक नयी जान भर दी | गाने में रेप भी डाला गया है| और गाना कवारो को पूर्ण रूप से समर्पित है|
इस गाने का सबसे अच्छा बोल   "कोड कारूला मोद करुला जद सुण सु ला जान्जरियो" बड़ा ही प्यारा है और कवारो के दिल में घर कर जाता है ज्यादा कुछ इस गाने के बारे में बोलने की जरुजत नही है आप खुद ही सुण ले
https://www.youtube.com/watch?v=-CzyJWHT7Dg&t=144s

रामकंवार पारासरिया
लेखक अर लिरिक्स ऑफ़ राजस्थानी सोंग्स 
8696170664

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आज़ादी तो क्रांति से आई

देश की असली आजादी तो क्रांति से आई थी

तेरी दर्द भरी कहानी में मैं कैसे शामिल हो जाऊं, बहरूपिए हो तुम मैं कैसे शामिल हो जाउ,
मैं कैसे भूलूं शहीदों की चीखों को,
मैं कैसे भूलूं 23 साल के नौजवानों को,
सूली आज भी मुझे वह दिख रही है,
मेरी आंखो के सामने वह टिक रही है,
अरे क्या करते हो तुम भारत पाकिस्तान का बंटवारा,
जरा उन जवानों को भी याद कर लो जिन्होंने अपना जीवन इन दोनों मुल्कों पर वारा।
मैं गांधी जी का बन जाऊं पुजारी,
लेकिन बंटवारे के वक्त क्या उन्हें याद नहीं आई हमारी,
वतन बंट रहा था तुम मौन थे,
अब पूछ रहे हो कि नाथूराम गोडसे कौन थे,
बंग भंग हुआ तब भी तुम ना समझे,
दिल का टुकड़ा छीन ले गया जिन्ना तब भी तुम ना संभले,
अच्छा हुआ गांधीजी तुम को गोडसे ने मार दिया,
जब जिन्ना की बातों में आकर हिंदुस्तान और पाकिस्तान को अलग किया,
मेरी नजर में हिंदुस्तान का आज हर एक युवा मौन है,
जरा पूछो उन फांसी पर लटके हुए जवानों से कि वह कौन है,
मुझे आज भी याद है जो कत्लेआम हुआ,
हिंदुस्तान जब पाकिस्तान के रूप में बर्बाद हुआ,
हां तुम थे अहिंसा के पुजारी मैं भी बन जाऊं,
पर मैं उस आजाद को कैसे भूल जाऊं,
आजाद था, आजाद है,आजाद रहेगा,इस वचन को मैं कैसे झुटलाऊँ,
जलियां की वह आग आज भी सीने में चिंगारी बन कर बैठी है,
सभी अपनी अपनी राजनीति में लगे हुए हैं कौन कहता है कि देश मेरी माटी,
अरे पूछो उन माताओं को जिन्होंने अपने सीने पर पत्थर रख दिया,
अपने आंख के तारे को देश के लिए न्योछावर कर दिया,
पूछो उस पिता से जिसके सामने भगत सिंह ने बंदूक के बोई थी,
क्या उस रात उस पिता की आंखें चैन से सोई थी,
इंकलाब की वह बोली घर-घर में गूंज उठी थी,
तुम्हारी अहिंसा की उस टोली में कितनी चीखें रोज उठी,
तुम सही हो यह "पारासरिया" मानता है,
व्यक्तिगत तौर पर नहीं पर इतिहास के जरिये उनको जानता है,
तुमने अपने तरीके में शांति अपनाई थी,
लेकिन देश की असली आजादी तो क्रांति से आई थी,
देश की असली आजादी तो क्रांति से आई थी।
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मायड़ भाषा एक अनशन

राजस्थान खुद रे माई एक न्यारी प्रतिभाहै। अठा रा लोग न्यारा,गांव न्यारा,पहनाव न्यारो अर शिक्षा न्यारी। अर सबसु न्यारी अठा री भासा राजस्थानी एकदम न्यारी 10 करोड़ लोगां री आ भासा जकी ने हलताई मान्यता नी मिली। राजस्थान रा ट्रेडिशनल अर फ़ोक गाणा री तो भात ई न्यारी है। आज रा जुग माई राजस्थान रा ट्रेडिशनल अर फोक गाणा देश अर विदेशा माई गणा ई भाजे है। घूमर अर कालबेलिया नाच सबसु न्यारो है। राजस्थानी रो स्वागत गीत केसरिया बालम आवो नी थे पधारो म्हारे देश ने सुण अर विदेशी पर्यटक भी एकदम राजस्थान री संस्कृति रे माई मन ही मन खो ज्यावै। विदेशी पर्यटक अठा री संस्कृति रा क़ायल है। पुष्कर जेड़ा पवित्र धाम अठे। काले री एक गानो रा कुछ बोल म्हारे कानडे म्है भड़िया तो मने गणों ही सुहावनो लाग्यो। बे बोल म्हे आपरे सामी राखु "लड़ली लूमा झूमा ऐ लड़ली लूमा झूमा ऐ,
 मारो गोरबंद नखरालो,
 आलीजा मारो गोरबंद नखरालो"
 "मूछा मारी शान है जूती सूं पहचान है"
एड़ा कई गीत अठा री संस्कृति री पहचान है
पण आपणो दुर्भाग्य है के हलताई आपणी भासा ने सरकार मान्यता कोनी दिवि। अमरीका अर सयुंक्त राष्ट्र ने भी राजस्थानी भाषा ने अंतरराष्ट्रीय भासा रो दर्जो दियो। नेपाल रे माई राजस्थानी ने मान्यता है पण भारत मे राजस्थानी ने मान्यता कोनी। पण देवकिशन जी राजपुरोहित ने अनशन शुरू कर अर राजस्थानी भासा ने मान्यता सारू एक बहुत बड़ी हुंकार भरी है अब जाणा राजस्थानी ने मान्यता मिल ज्यासी।
जै जै राजस्थानी
रामकंवार पारासरिया
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पिया म्हारा परदेसी



देखो थाणी आखड़लिया मारी मारो नैणा नीर बह ग्यो,
मै रोउ मनड़े उबी आँगन क्यूँ रे म्हारो पियो परदेसी हो ग्यो।

थाणी याद में कळपती काया मारी होगयी केश,
पिया मारी बात सुणो थे क्यूँ बैठा परदेस।


पगलिया री सुण म्हे वाज वो,
दौड़ी आई आंगणे पिया म्हारा वो,
हिवड़ो गणो म्हारौ उकसायो,
जद परदेसी तू आंगणे नइ आयो।

सखी सहेली पूछे माने कद आवे भरतार जी,
कुण समझावे इणने पिया होग्या परदेसी जी।

जोगण बणगी म्हे ज्यूँ ही मीरा बाई वो,
थे मत बणो जोगी म्हारा पिया परदेसी ओ।

थारा सु मिलण री आस ही मारी,
क्यूँ तोड़ी थे आस पिया मारी,
उबि उबि थाने उडीकु धोरे माथे वो,
कद आवेलो पियो परदेसी मारो वो|

याद थाणी माने गणी आवे,
परदेश पियो क्यूँ जावे,
मनड़ो हो ग्यो उदास जद,
परदेशी म्हारे देश आवेलो कद।

मै रोऊ पिया म्हारा कुण थाने बतावे,
"रामकंवार" सगळी बात बतावे |
ramkanwar parasriya

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म्हारी मावड़ी

“मारी मावड़ी”

काले ज्यु हि मारी आँख मिली,
मारी मावडी मने सुपणा रे माये दिखी|
अबे सुपणों यू जोर को आयो,
बचपन रा वे दिन याद लायो|
मावडी मारी गिले आंगने सोई ही,
अर मने बिरी छाती रे लगाई सोई ही|
लोरी गायर मने सुलाई ही,
पण बिरी खुद री नींद उडियोड़ी ही|
आंगनो तो पुरो आलो हो,
पण छत सु भी पाणी टपकतो हो|
अर आंगने माथे तो खुद सुयगी ही,
पण छत रा पाणी रो जतन करती ही|
फेर बैठी हुयर मने गोदिया म सुलायो हो,
अर खुद आखी रात जागी ही|
पाणी रो एक ई टपको मारे माथे पडंदियो कोनी,
अर बिने आखी रात मै सोवणदि कोनी|
फेर सूबे रा बीने एक जपको आयो,
मारे भी एक झटको लाग अर सुपणों टूटियो|
मन गणों कलपियो बी सुपणा ने देखर
अबे मारे आंख्या सु पाणी पडगो,
अर “रामकंवार” आधी ही ई कविता ने लिखगो|
by रामकंवार पारासरिया
8696170664


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प्यारी बहना


"प्यारी बहना"

क्या लिखूं उसके बारे में वह रिश्ता का बड़ा अंबर है,
इन सारे मानवीय रिश्तों में वह बड़ा समंदर है।
क्या लिखूं उसके बारे में वह है हवाओं का फ़साना,
या है परियों का पहला गहना,
वह है आसमान में तारों का टिमटिमाना।
सूरज की कड़कड़ाती धूप में है वह छांव का बहाना,
बस यही है कहना हे प्यारी मेरी बहना।
मुझे चोट लगती तो वह अपने नन्हें हाथों से उस चोट पर हाथ फेरती और कहती दुख रहा है,
मेरी कमीज को गीला करके फिर सुखाती और कहती अभी गीला है सूख रहा है।
फिर शहर आया तो पापा से झगड़कर कॉल करवाती,
भैया आप वापस कब आओगे बस यही मुझसे पूछती।
जब मैं गांव जाता तो मेरे लिए तोहफा नहीं लाऐ इस बात पर रूठ जाती,
इस बार लाऊंगा कहते-कहते ही फिर मान जाती।
उसकी इस निश्छलता को देख कर मेरी आंख भर आती,
मैं इन आंशुओं को अपने दिल में छुपाता बस यही कहता ले बांध मेरी प्यारी बहना राखी।
अब गम यह नहीं है कि तू मेरे पास नहीं है,
ससुराल में तू खुश रहना बस दुआ यही है।
क्या लिखूं इस सांसारिक अंधकार में तू मेरे लिए प्रकाश की किरण रही है।
परीक्षा में परिणाम कैसा रहेगा इस बात को मेरे सोचने पर तू मेरा दिल बहलाती,
जब भी मैं मंजिल की राह में गिरने लगता तू मेरा साहस बढ़ाती।
लेकिन क्या लिखूं यह मेरी मजबूरी है,
हमारे बीच अब जो दूरी है।
क्या लिखूं अब तू ही तो मेरा श्रंगार तू ही मेरा गहना है,
क्या कहूं यही तो मेरा कहना है बस तू ही प्यारी बहना है।
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क्यों मैं 18 का हो गया


 क्यों मैं 18 का हो गया



कल रात मै सोने जा रहा था,
कल रात मैं सोने जा रहा था,
जब मैं 18 को होने जा रहा था।
दो दोस्त अचानक कमरे में आए,
दो दोस्त अचानक कमरे में आए,
और कहने लगे अभी कहां सोने जा रहा है,
तू अभी थोड़ी देर बाद 18 का होने जा रहा है।
उनकी बात पूरी कहां हुई थी अभी,
अचानक एक और दोस्त कमरे में घुसा आया तभी।
साथ में लेकर आया केक,
और था साथ में चाकू एक।
कहने लगा अब देर मत कर केक काट तू,
और जोर से गाने लगे हैप्पी बर्थडे टू यू।
सभी लोग मना रहे थे खुशियां,
लेकिन मेरा मुंह तो ऐसे ही पिचका हुआ था जैसे हूं मैं 90 साल की बुढ़िया।
पता नहीं क्यों मन में एक उदासी छाई थी,
यह बात मैंने किसी को नहीं बताई थी।
अब याद रहा वह बचपन जो न जाने कहां सो गया,
जवानी के इस प्रकाश में बचपन कहां खो गया।
वह गलियों में घूमने के दिन याद आने लगे,
दोस्तों के संग बचपन की बातों के दिन अब सताने लगे।
अब मैं 18 के इस अहसास को लेकर सो गया,
लेकिन अंत में मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि क्यों मैं 18 का हो गया।
क्यों मैं 18 का हो गया।
क्यों मैं 18 का हो गया।
Written By रामकंवार पारासरिया
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राजस्थानी गायन ( तानसेन के सुर )


राजस्थानी गायन तानसेन के सुर


तानसेन भारतीय संगीत जगत में तानसेन नाम अमर है । वह इतना अच्छा और मधुर गाते थे कि वह अपने गायन से वर्षा को भी प्रकट कर देते थे । जब कभी भी अकबर के राज्य मैं अकाल पड़ता था या कम वर्षा होती तो तानसेन ऐसी राग गाते के बिना बादल ही वर्षा हो जाती थी । चलिए छोड़िए वह तो उस जमाने की बात है लेकिन राजस्थानी संगीत में आज भी कहीं ना कहीं तानसेन का सुर मौजूद है । उस संगीत में तानसेन आज भी जिंदा है तानसेन जब गाते थे तो वर्षा होती थी । ऐसे ही कुछ पिछले 2 वर्षों में राजस्थान में हो रहा है तानसेन की ही भांति राजस्थान के दो महान गायकों ने अपनी मधुर आवाज में पिछले 2 वर्षों में दो ऐसे गाने गाए कि इंद्र देव को राजस्थान की धरती पर मेहरबान होना पड़ा। पिछले वर्ष तो "अनिल सैन" का गाना "बरस बरस मारा इंदर राजा" इंद्र देव को इतना पसंद आया फिर लगातार 7 दिनों तक वर्षा हुई तथा जब अधिक वर्षा यानी अतिवृष्टि हुई तो फिर से एक गाना गाया तो इंद्रदेव ने उनकी पुकार सुनी तथा वर्षा रुक गई और किसानों को अकाल से छुटकारा मिला बात करते हैं ।
इस साल के सुप्रसिद्ध गाने की इस साल भी कुछ ऐसा ही हुआ "गजेंद्र अजमेरा" का गाना "इंद्राणी" जो इंद्रदेव को राज आया और राजस्थान की इस पावन धरती पर वर्षा की फुहार बरसा दी। इन दोनों गायकों के गानों को इत्तेफाक भी कह सकते हैं लेकिन किसानों का इन दोनों पर उपकार है जो इनके गायन के कारण वर्षा हुई है। और यदि आगे भी ऐसा हुआ तो किसान इन दो गायक को सदियों तक याद रखेंगे। शायद यह कहना मुश्किल नहीं होगा कि यह दोनों गायक तानसेन का ही रूप है या इनके गले में तानसेन के ही सुर है । मैं और सारे किसान इन्हे सलाम करते हैं तथा इनका बहुत उपकार है किसानों पर जो पिछले साल संकट की घड़ी में वर्षा हुई । तथा अन्य आशा करते हैं कि यह आगे भी ऐसी ही मधुर आवाज में गाए।
रामकंवार पारासरिया
author
www.ramkanwar.blogspot.in
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हत्या एक पड़ोसन

हत्या एक पड़ोसन

यह कहानी एक लड़के की है जो एक पुलिस वाला बनना चाहता है| वह एक भयानक सपने के बारे में बताता है| कल रात एक सपना आया था| सपने में एक सुंदर औरत आयी और जगाने लगी|
 सपने में आँखे खुली और में उसे देखता ही रहा लेकिन क्या पता था जितनी सुंदर वह हे उससे भी भयानक उसका नाम होगा| मैंने पूछा की आप कौन ? वह बोली मै आपकी पड़ोसन | मै बोला आपको पहले कभी नही देखा| वह बोली कल ही आयी हूँ आपके पडोसी की मर्त्यु के साथ | मैंने कहा मै कुछ समझा नही | वह बोली मेरा नाम हत्या है कल आपके पडोसी ही हत्या हुई थी | उसकी यह बात सुन कर वह डर जाता है| वह औरत बोलती है की तुम डरो मत मै तुमे कुछ नही करुँगी मुझे तुम से कुछ मदद चाहिय | वह बोला कैसी मदद | और वह औरत गायब हो जाती है| अचानक उसकी आँख खुलती है उसका मन एकदम अशांत है|
आज कल हमारे देश में इतनी हत्या हो रही है की लोगो को अब हत्या खुद सपने में आकर बोल रही है| तथा अब तो इतना डर लग रहा है की कही हत्या हमारे पड़ोस में तो नही है क्या पता कब वह दीवार फांद कर हमार ऊपर आ जाये | आज हर कोई छोटी सी लड़ाई के कारण एक दुसरे का खून पिने पर उतारू हो जाते है | क्यों वह भी तो हमारी तरह इंशान ही है |

To be continued…………………….
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ऐ जिन्दगी

ऐ जिन्दगी।

वक्त थमा था जब तुम मिलने आयी थी,

गम गुम हुआ था जब तुम मिलने आयी थी।

वो पल बड़े थे लेकिन छोटे तेरे साथ हो गये,
कहा ढूंढू वो पल जो तेरे साथ होने पर खो गये।
वक्त की पहचान पहले न थी ऐ जिन्दगी,
कहा उस वक्त को ढूंढू बता दे तू ऐ जिन्दगी।
समंदर भी अब ठहरा हुआ लग रहा है, अब एक बूंद से भी पानी का गिलास भरा हुआ लग रहा है।
आधी गिलास का पानी न जाने कहां चला गया,
सपनों की दौड़ में न जाने कब मैं सो गया।
जागते ही फिर दौड़ पड़ा लेकिन तू ना मिली ऐ जिंदगी,
कहां अब तु सो गई बता दे मुझे ऐ जिंदगी।
पहले बहुत हंसा था लेकिन अब रोने की भी बारी मेरी ना रही,
पहले यम ने मुझे ना जगाया लेकिन अब मेरी आत्मा भी उसे भा रही।
अंतिम पलों में तुझसे कुछ मांगा ऐ जिंदगी,
अकेले में मेरा साथ तुम छोड़ना, सबके सामने रूलाना नहीं जिंदगी, सबके सामने रूलाना नहीं ऐ जिंदगी, सबके सामने रूलाना नहीं ऐ जिन्दगी।

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अफहीज का एग्जाम

कल MDS यूनिवर्सिटी के b.sc. 2 year के एग्जाम खत्म हो गए । मेरे दोस्त का भी एग्जाम था । मैं अपने दोस्त के कॉलेज 1:30 बजे पहुंचा। मैं वहां उसका मोबाइल और उसका पर्स देने पहुंचा फिर हम दोनों गवर्नमेंट कॉलेज गये। वहां उसकी सिस्टर का एग्जाम था।  हम दोनों वहां पहुंचे कॉलेज परिसर में बहुत सारे परीक्षार्थी एग्जाम देने पहुंचे । कल धूप भी बहुत तेज थी सभी परीक्षार्थी नोटिस बोर्ड के सामने तेज धूप में खड़े थे और अपने आप को धूप से बचाने का प्रयास कर रहे थे। कुछ छात्र अपने प्रवेश पत्र से अपनी सर को ढक रहे थे कुछ छात्रों के पास अपना स्टोल था और दोस्त से बचने के लिए नाना प्रकार के प्रयास कर रहे थे । मैं और मेरा दोस्त थी पसीना पोंछ रहे थे तभी सामने वाले नोटिस बोर्ड पर एक कलेक्ट ने m.a. के रोल नंबर है रूम नंबर की सीट चिपकाई और सभी लोग अपना रोल नंबर सीट में ढूंढने में लग गए। मेरे दोस्त ने भी अपनी सिस्टर के रोल नंबर ढूंढे और उसे बताए। अचानक वहां से भीड़ हटने लगी दो लड़कियां स्कूल तक पर सवार होकर नोटिस बोर्ड की तरफ जा रही थी जबकि वहां स्कूटर पर सवार होकर आने पर पाबंदी थी। सभी छात्र उनको देख रहे थे शायद वह दोनों बहने थी। जब मैंने उस स्कूटर पर पीछे बैठी लड़की को देखा तो दंग रह गया क्योंकि वह लड़की पैरों से अपाहिज थी और वह अपने का एग्जाम देने आई थी। पीछे पीछे एक औरत हाथ में बैसाखी दी आ रही थी और मैं उस लड़की को देखता रहा। स्कूटर मेरे सामने आकर रुका सभी उस लड़की की तरफ देख रहे थे । उस लड़की की मां उसके पास और उसे बैसाखी दी और स्कूटर से उतरने में उस लड़की की सहायता करने लगी । लेकिन आगे जो हुआ उसे देखकर मैं और सभी दंग रह गए । उस लड़की ने अपनी मां को उसकी सहायता के लिए मना कर दिया। और इस स्कूटर से उत्तर कर अपने रोल नंबर की तरफ बढ़ने लगी । यह देख कर मेरे अंदर भी एक नई आश जगी । उस लड़की के जोश और जुनून को देखकर एक बात मेरे दिमाग में बैठ गई कि हमें अपने जीवन में किसी और की सहायता नहीं लेनी चाहिए । हमें हमारा काम खुद करना चाहिए सलाम है उस लड़की को सलाम उसके उस जज्बे को । काश उन लोगों के पास वह जज्बा वह जुनून होता जो असफल होने के बाद अपना जीवन खो देते हैं और कायरों की तरह आत्महत्या कर लेते हैं। हमें ऐसे लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है जो अपने आप में ही एक पूरे विश्व का स्वरुप लेकर घूमते हैं । अंत में यही कहूंगा शायद हमें दूसरों की मदद लेनी पड़ी या फिर करनी पड़े तो कभी पीछे मत हटो हमें लगे कि हम यह काम कर सकते हैं तो कभी भी दूसरों की सहायता मत लो तो एहसान जिंदगी भर के लिए हमारे ऊपर कर्ज के रूप में बैठ जाता है फिर हम हमारा काम खुलकर नहीं कर सकते।





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उनकी याद

कुछ दिन बीत गए याद उनकी हमें आई,
क्या पता उनको हमारी याद आई या ना आई।
वह क्या दिन थे उनकी यादों में गुजर गए,
वो दिन से लेकर शाम तक उनके चेहरे को देखने में चले गये।
पता नहीं चला था शाम का ना सुबह का ठिकाना रहा,
बस देखते रहे उनके चेहरे को वह भी क्या जमाना रहा ।
हम उनको कुछ और बना बैठे थे उन्होंने हमको यार बना लिया ,
क्या यह प्यार था पता नहीं चला उन्होंने हमें कुछ और बना लिया ।
याद उनकी आती रही वह भी दिल में यूं आते रहे ,
बचपन से लेकर आज तक बस वही हमें जगाते रहे ।
उनके सपने आते थे मीठे पानी की नदी की तरह ,
आंख खुलते ही मिल जाया करते थे खारे पानी के सागर में डेल्टा की तरह ।
क्या था उनकी यादों का वह जल,
अमृत हमें लगता था।
उनकी यादों के साथ अब जीना है ,
क्या पता वह आएंगे या नहीं बस एक बार जिंदगी में उनसे मिलना है।
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#yuvasoch

Hello आज हमारे देश के युवाओ की सोच ही अच्छी नही है. दोस्तों यह एक सच्ची घटना है. आज दिल में इतना दर्द हो रहा है.की उसे शब्दों में बयां नही कर सकता हूँ. मेरा एक दोस्त है उसकी शादी हो चुकी है. वह बोला भाई मैंने एक लड़की को आज प्रपोज किया है. मैंने उसे समझाया की भाई तेरी तो शादी हो चुकी है. तो फिर यह तो गलत है. हाँ लेकिन बस मज्जे के लिए – वह बोला. मै बोला भाई जो लड़की बिना सोचे समझे तेरे साथ अपनी पूरी लाइफ गुजरना चाहती है तू उसे धोका दे रहा है. वह बोला भाई जिस लड़की को मैंने प्रपोज़ किया उसने सामने से मुझसे दोस्ती की है. मै बोला भाई उसने तेरे से दोस्ती की हे और वह कुछ और समझ रही है तो तुम उसे बोल दो की मेरी शादी हो चुकी है. वह बोला यार वह खुद सामने से आ रही है. तो मै उसे मना नही कर सकता. वो बोला नही. मै बोला भाई अपनी सोच को बदल दे. वह बोला भाई मेरी तो यही सोच है.
हमारा देश क्या आगे बढेगा जब हमारी सोच ही ऐसी है. जब दिल्ली में निर्भया कांड होता है तो देश का हर एक व्यक्ति उस कांड को करने वाले को फांसी के बारे में बोलता है. क्या हमने कभी सोचा की उन्होंने ऐसा क्यों किया वो भी तो युवा ही थे. निर्भया कांड होने पर हम सड़को पर निकल जाते है की यह सही नही है.क्यों? जब हमारे देश के युवाओ की सोच ही मज्जे वाली है.
अरे जब युवाओ की सोच बदलती है तो पुरे देश की सोच बदल जाती है. क्योकि इस देश का युवा कुछ भी कर सकता है. एक बार यह सोच कर तो देखो की यह सही हे या नही. मै अभी 18 वर्ष का हूँ. मुझे लाइफ का उतना तजुर्बा नही है. लेकिन मै यह बता सकता हु की जो हम सोचते है वह कर सकते है. और परिणाम आपके सामने ही है. आये दिन न्यूज़ पेपर, टी.वी. में देखते है. की आज वहा कांड हो गया. क्यों
अरे हम युवा है हम अपनी सोच कब बदलेंग कब ? जब बात हम पर बीतेगी तब. सोच बदलो भाई हम युवा है हम कुछ भी कर सकते है.
                                                                                                                                                                                                  रामकंवार पारासरिया

                                                                                                                          8696170664
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