क्यों मैं 18 का हो गया
कल रात मै सोने जा रहा था,
कल रात मैं सोने जा रहा था,
जब मैं 18 को होने जा रहा था।
दो दोस्त अचानक कमरे में आए,
दो दोस्त अचानक कमरे में आए,
और कहने लगे अभी कहां सोने जा रहा है,
तू अभी थोड़ी देर बाद 18 का होने जा रहा है।
उनकी बात पूरी कहां हुई थी अभी,
अचानक एक और दोस्त कमरे में घुसा आया तभी।
साथ में लेकर आया केक,
और था साथ में चाकू एक।
कहने लगा अब देर मत कर केक काट तू,
और जोर से गाने लगे हैप्पी बर्थडे टू यू।
सभी लोग मना रहे थे खुशियां,
लेकिन मेरा मुंह तो ऐसे ही पिचका हुआ था जैसे हूं मैं 90 साल की बुढ़िया।
पता नहीं क्यों मन में एक उदासी छाई थी,
यह बात मैंने किसी को नहीं बताई थी।
अब याद रहा वह बचपन जो न जाने कहां सो गया,
जवानी के इस प्रकाश में बचपन कहां खो गया।
वह गलियों में घूमने के दिन याद आने लगे,
दोस्तों के संग बचपन की बातों के दिन अब सताने लगे।
अब मैं 18 के इस अहसास को लेकर सो गया,
लेकिन अंत में मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि क्यों मैं 18 का हो गया।
क्यों मैं 18 का हो गया।
क्यों मैं 18 का हो गया।
Written By रामकंवार पारासरिया