हमारे ब्लॉग » www.ramkanwar.blogspot.in में आपका स्वागत है| | Director :- Ramkanwar Parasriya Digital Vision धन्यवाद "
धार्मिक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
धार्मिक लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोचने वाली बात है!

राम, हिंदू धर्म का सबसे पवित्र नाम | हर धर्म में यह अलग अलग तरीके से लिया जाता है मुस्लिम इन्हें अली, सिख इन्हें वाहेगुरु तो ईसाई इन्हें जीसस पुकारते है। इनके ठिकाने भी धर्म के अनुसार ही हैं मंदिर में बैठते तो हिंदुओं के राम, मस्जिद में बैठते तो मुस्लिम अली, गुरुद्वारे में वाहेगुरु व चर्च में जीसस। हर इंसान अपने दुखों की फरियाद लेकर इनके पास ही जाता है और खुशी-खुशी वापस अपने घर लौट कर आता है इसी उम्मीद और विश्वास के साथ कि अल्लाह, भगवान, वाहे गुरु, जीसस ने मेरी पुकार सुन ली और अब मेरा काम बन जाएगा। यह तो बात हुई इंसानों के दुख उन पर आए संकट व उसके निवारण की, पर कभी सोचा है कि अगर भगवान पर कुछ संकट आए तो क्या होता होगा? तब वह किसके पास अपनी फरियाद लेकर जाते होंगे? अब आप कहेंगे यह कैसे संभव भगवान ही तो हमारे सुख-दुख बांटते है तो वह कैसे दुखी होंगे? जवाब यह है कि दुखी नहीं होते हैं, पर जब उनके नाम पर हम (इंसान जो भगवान का इस पृथ्वी को दिया गया सबसे नायाब तोहफा) आपस में लड़े तो क्या भगवान खुश रह पाएंगे? सोचिए एक मां के दो बेटे हैं और इस पूरी पृथ्वी पर वे तीनों ही जीवित हैं अगर दोनों बेटे आपस में लड़ने लगे तो? सोचने वाली बात है ना! इसको लिखते हुए मुझे बरसों पुराने गीत याद आया गीतकार साहिर लुधियानवी जी का गीत 1959 में आई फिल्म दीदी का है उसके कुछ बोल - 
वही है जब कुरान का कहना,
जो है वेद पुराण का कहना,
फिर यह शोर शराबा क्यों है,
इतना खून खराबा क्यों है,
अपने वतन में।
बस 1959 से आज तक यह पंक्तियां मिटी ही नहीं। सोचने वाली बात है ना?

आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट में जरूर बताएं।
धन्यवाद
Share:

पिया म्हारा परदेसी



देखो थाणी आखड़लिया मारी मारो नैणा नीर बह ग्यो,
मै रोउ मनड़े उबी आँगन क्यूँ रे म्हारो पियो परदेसी हो ग्यो।

थाणी याद में कळपती काया मारी होगयी केश,
पिया मारी बात सुणो थे क्यूँ बैठा परदेस।


पगलिया री सुण म्हे वाज वो,
दौड़ी आई आंगणे पिया म्हारा वो,
हिवड़ो गणो म्हारौ उकसायो,
जद परदेसी तू आंगणे नइ आयो।

सखी सहेली पूछे माने कद आवे भरतार जी,
कुण समझावे इणने पिया होग्या परदेसी जी।

जोगण बणगी म्हे ज्यूँ ही मीरा बाई वो,
थे मत बणो जोगी म्हारा पिया परदेसी ओ।

थारा सु मिलण री आस ही मारी,
क्यूँ तोड़ी थे आस पिया मारी,
उबि उबि थाने उडीकु धोरे माथे वो,
कद आवेलो पियो परदेसी मारो वो|

याद थाणी माने गणी आवे,
परदेश पियो क्यूँ जावे,
मनड़ो हो ग्यो उदास जद,
परदेशी म्हारे देश आवेलो कद।

मै रोऊ पिया म्हारा कुण थाने बतावे,
"रामकंवार" सगळी बात बतावे |
ramkanwar parasriya

Share:

म्हारी मावड़ी

“मारी मावड़ी”

काले ज्यु हि मारी आँख मिली,
मारी मावडी मने सुपणा रे माये दिखी|
अबे सुपणों यू जोर को आयो,
बचपन रा वे दिन याद लायो|
मावडी मारी गिले आंगने सोई ही,
अर मने बिरी छाती रे लगाई सोई ही|
लोरी गायर मने सुलाई ही,
पण बिरी खुद री नींद उडियोड़ी ही|
आंगनो तो पुरो आलो हो,
पण छत सु भी पाणी टपकतो हो|
अर आंगने माथे तो खुद सुयगी ही,
पण छत रा पाणी रो जतन करती ही|
फेर बैठी हुयर मने गोदिया म सुलायो हो,
अर खुद आखी रात जागी ही|
पाणी रो एक ई टपको मारे माथे पडंदियो कोनी,
अर बिने आखी रात मै सोवणदि कोनी|
फेर सूबे रा बीने एक जपको आयो,
मारे भी एक झटको लाग अर सुपणों टूटियो|
मन गणों कलपियो बी सुपणा ने देखर
अबे मारे आंख्या सु पाणी पडगो,
अर “रामकंवार” आधी ही ई कविता ने लिखगो|
by रामकंवार पारासरिया
8696170664


Share:

राजस्थानी गायन ( तानसेन के सुर )


राजस्थानी गायन तानसेन के सुर


तानसेन भारतीय संगीत जगत में तानसेन नाम अमर है । वह इतना अच्छा और मधुर गाते थे कि वह अपने गायन से वर्षा को भी प्रकट कर देते थे । जब कभी भी अकबर के राज्य मैं अकाल पड़ता था या कम वर्षा होती तो तानसेन ऐसी राग गाते के बिना बादल ही वर्षा हो जाती थी । चलिए छोड़िए वह तो उस जमाने की बात है लेकिन राजस्थानी संगीत में आज भी कहीं ना कहीं तानसेन का सुर मौजूद है । उस संगीत में तानसेन आज भी जिंदा है तानसेन जब गाते थे तो वर्षा होती थी । ऐसे ही कुछ पिछले 2 वर्षों में राजस्थान में हो रहा है तानसेन की ही भांति राजस्थान के दो महान गायकों ने अपनी मधुर आवाज में पिछले 2 वर्षों में दो ऐसे गाने गाए कि इंद्र देव को राजस्थान की धरती पर मेहरबान होना पड़ा। पिछले वर्ष तो "अनिल सैन" का गाना "बरस बरस मारा इंदर राजा" इंद्र देव को इतना पसंद आया फिर लगातार 7 दिनों तक वर्षा हुई तथा जब अधिक वर्षा यानी अतिवृष्टि हुई तो फिर से एक गाना गाया तो इंद्रदेव ने उनकी पुकार सुनी तथा वर्षा रुक गई और किसानों को अकाल से छुटकारा मिला बात करते हैं ।
इस साल के सुप्रसिद्ध गाने की इस साल भी कुछ ऐसा ही हुआ "गजेंद्र अजमेरा" का गाना "इंद्राणी" जो इंद्रदेव को राज आया और राजस्थान की इस पावन धरती पर वर्षा की फुहार बरसा दी। इन दोनों गायकों के गानों को इत्तेफाक भी कह सकते हैं लेकिन किसानों का इन दोनों पर उपकार है जो इनके गायन के कारण वर्षा हुई है। और यदि आगे भी ऐसा हुआ तो किसान इन दो गायक को सदियों तक याद रखेंगे। शायद यह कहना मुश्किल नहीं होगा कि यह दोनों गायक तानसेन का ही रूप है या इनके गले में तानसेन के ही सुर है । मैं और सारे किसान इन्हे सलाम करते हैं तथा इनका बहुत उपकार है किसानों पर जो पिछले साल संकट की घड़ी में वर्षा हुई । तथा अन्य आशा करते हैं कि यह आगे भी ऐसी ही मधुर आवाज में गाए।
रामकंवार पारासरिया
author
www.ramkanwar.blogspot.in
Share:
loading...
Copyright © Ramkanwar Parasriya | Powered by Blogger Design by Ramkanwar Parasriya