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गधों की राजनीती

नोटबंदी पर भी राजनीती हो गयी,
कैशलेश इंडिया की बात चल गयी।
देखो नोटों की राजनीती भी कैसी ही गई,
पहले लाल नोट एक हजार के थे,
अब दो हजार के नोट गुलाबी हो गये।
कैसा है देश हमारा देश का किसान मर रहा है,
नेता गधो पर राजनीती कर रहा है।
सर्जिकल स्ट्राइक की पाकिस्तान की हवा टाइट की, यह जनता मानती है,
लेकिन कौनसा नेता कैसा है यह भी जनता जानती है।
जिस तरह कृषक कार्तिक में चेताता है,
जनता ऐसे ही इस बार चेतायेगी,
रामकंवार यही कहता है जनता भ्रष्ट नेताओ से देश को बचायेगी।
up की राजनीती पर कुछ नजर डालते है-
up की राजनीती तो देखो बाप बेटा अलग हो गये,
sp - कांग्रेस एक हो गये।
bjp-bsp दोनों कराह उठे,
sp-कांग्रेस भाईचारा बांट रहे है।
खुद sp के नेता ही तो बोल रहे है पैर पर हमने कुलाड़ी हमने मार ली,
जो कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात कर ली।
अचम्भा तो हमे कल हुआ जब चुनावो का परिणाम आ गया,
गधों और साईकिल की रेस में हाथी बेचारा कुचल गया,
साईकिल थोड़ी देर चली और पंचर हो गयी लेकिन गधा बाजी मार गया।


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उनकी याद

कुछ दिन बीत गए याद उनकी हमें आई,
क्या पता उनको हमारी याद आई या ना आई।
वह क्या दिन थे उनकी यादों में गुजर गए,
वो दिन से लेकर शाम तक उनके चेहरे को देखने में चले गये।
पता नहीं चला था शाम का ना सुबह का ठिकाना रहा,
बस देखते रहे उनके चेहरे को वह भी क्या जमाना रहा ।
हम उनको कुछ और बना बैठे थे उन्होंने हमको यार बना लिया ,
क्या यह प्यार था पता नहीं चला उन्होंने हमें कुछ और बना लिया ।
याद उनकी आती रही वह भी दिल में यूं आते रहे ,
बचपन से लेकर आज तक बस वही हमें जगाते रहे ।
उनके सपने आते थे मीठे पानी की नदी की तरह ,
आंख खुलते ही मिल जाया करते थे खारे पानी के सागर में डेल्टा की तरह ।
क्या था उनकी यादों का वह जल,
अमृत हमें लगता था।
उनकी यादों के साथ अब जीना है ,
क्या पता वह आएंगे या नहीं बस एक बार जिंदगी में उनसे मिलना है।
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