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Scince के फन्डे

Scince के फन्डे 
पता नही क्यों कल शाम मेरे दोस्तों के साथ बैठते वक्त ऐसा लगा की मुझे यहां से चले जाना चाहिये। पर नही इनका दिल टूट जाऐगा। 
मेरा मन इसलिए ऐसा सोच रहा था क्योंकि कल सुबह मेरे दोस्त कमल ने मुझे कॉल किया और कहा भाई हमारे कमरे की तरफ कब आओगे।( सोचा की आज चलते है। ) और मै बोला शाम को आता हूँ।शाम को करीब 6 बजे मै उनके रूम पर गया। वहाँ मेरे चार दोस्त थे। उनके exam चल रहे थे। b.sc. के। और वह चारों b.sc. के student थे । मैंने चारो को बोला आओ चारो बातें करते है। तभी कमल ने कहा पढ़ते है। 
मैंने कमल से कहा - "कहाँ तक पढ़ा"?
कमल बोला-"7 पाठ पढ़े"      
मै बोला -" चल कुछ que. पूछता हूँ"( मैंने que. पूछने शुरू कीये)
मैंने एक que पूछा तो वह उस que. को लेकर कंफ्यूज़ था। तो मैंने उन चारो में से किसी एक को बताने को बोला।  अब वह चारो आपस में डिस्करशन करने लगे । अब में उन चारो का मुंह ताक रहा था( जैसे कोई भूखा भोजन के लिए किसी का मुंह ताक रहा हो) । वह साइंस के कुछ वैज्ञानिकों के नाम बोल रहे थे तो मैं उनका मुंह ताकने लगा और सोचने लगा क्या बात है यार इतने कठिन नाम इन को याद है। वह ऐसे बोल रहे थे जैसे मेरे सामने TV में साइंस की डॉक्यूमेंट्री चल रही हो और यह देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा। हमें विज्ञान ने बहुत कुछ दिया है और आज का युग विज्ञान और तकनीकी का युग है तो सोचो उन का बोलना मुझे अच्छा क्यों नहीं लगता। मुझे पता नहीं चला कि वह क्या बोल रहे थे लेकिन बहुत अच्छा लगा । फिर मैं वापस अपने रूम की तरफ आ गया और रास्ते में आते आते सोच रहा था साइंस के फंडे अलग ही है! 
रामकंवार पारासरिया 
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