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एक का दम (मुंबई का एक वाला दम)

एक का दम! एक में सबसे ज्यादा मजा होता है| हम के साथ मिलकर बहुत कुछ कर सकते है लेकिन उन हजारो में एक की भी कमी हो जाये तो हम कुछ नही कर सकते है| लाख में एक की कमी हो जाये तो वह पुरे लाख नही होते वह हजारो में ही गिने जाते है|
              एक कीमत पुणे की टीम को पूछो जिन्होंने एक के कारण ख़िताब से दूर हो गई | आईपीएल 10 के फाइनल मुकाबले में मुंबई ने पुणे को सिर्फ एक रन से हराया था| एक बात और याद आयी एक बार एक लड़की के exam में 99% आये लेकिन सिर्फ १ के कारण उसने आत्महत्या कर ली| एक कीमत उस लड़की से पूछो एक की कीमत उसकी जिन्दगी के बराबर है| इसलिए जीवन का हर एक पल कीमती है| एक विधायल में 500 छात्र है लेकिन फिर भी वहा एक की कमी है शिक्षक | जो हमे अन्धकार से निकालकर रोशनी में ले जाता है | जितनी ख़ुशी हमे हजारो के मिलने से नही मिलती उतनी ख़ुशी उस एक के मिलने में मिलती है |
“हजारो लाखो क्या करे, कहा इन्हें ले जाएगा,
एक नाम ले ले बस, तू सच्चा इंशान कहलायेगा|”
       एक की कीमत अभी हमे पता नही चलती लेकिन जब वह एक हमारे पास नही होगा तब हमे एक की सही कीमत का पता चलेगा | परीक्षा में एक प्रश्न का उतर न देने पर हम ग्रेडिंग में निचे आ जाते है तब हमे एक का पता चलता है| हजार का नोट गुम जाने पर हमे कितना दुःख होता है लेकिन एक का सिक्का कोई नही ढूढता सोचो वह एक नही होता तो वह हजार नही 00 होते|

रामकंवार पारासरिया
8696170664


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ऐ जिन्दगी

ऐ जिन्दगी।

वक्त थमा था जब तुम मिलने आयी थी,

गम गुम हुआ था जब तुम मिलने आयी थी।

वो पल बड़े थे लेकिन छोटे तेरे साथ हो गये,
कहा ढूंढू वो पल जो तेरे साथ होने पर खो गये।
वक्त की पहचान पहले न थी ऐ जिन्दगी,
कहा उस वक्त को ढूंढू बता दे तू ऐ जिन्दगी।
समंदर भी अब ठहरा हुआ लग रहा है, अब एक बूंद से भी पानी का गिलास भरा हुआ लग रहा है।
आधी गिलास का पानी न जाने कहां चला गया,
सपनों की दौड़ में न जाने कब मैं सो गया।
जागते ही फिर दौड़ पड़ा लेकिन तू ना मिली ऐ जिंदगी,
कहां अब तु सो गई बता दे मुझे ऐ जिंदगी।
पहले बहुत हंसा था लेकिन अब रोने की भी बारी मेरी ना रही,
पहले यम ने मुझे ना जगाया लेकिन अब मेरी आत्मा भी उसे भा रही।
अंतिम पलों में तुझसे कुछ मांगा ऐ जिंदगी,
अकेले में मेरा साथ तुम छोड़ना, सबके सामने रूलाना नहीं जिंदगी, सबके सामने रूलाना नहीं ऐ जिंदगी, सबके सामने रूलाना नहीं ऐ जिन्दगी।

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अफहीज का एग्जाम

कल MDS यूनिवर्सिटी के b.sc. 2 year के एग्जाम खत्म हो गए । मेरे दोस्त का भी एग्जाम था । मैं अपने दोस्त के कॉलेज 1:30 बजे पहुंचा। मैं वहां उसका मोबाइल और उसका पर्स देने पहुंचा फिर हम दोनों गवर्नमेंट कॉलेज गये। वहां उसकी सिस्टर का एग्जाम था।  हम दोनों वहां पहुंचे कॉलेज परिसर में बहुत सारे परीक्षार्थी एग्जाम देने पहुंचे । कल धूप भी बहुत तेज थी सभी परीक्षार्थी नोटिस बोर्ड के सामने तेज धूप में खड़े थे और अपने आप को धूप से बचाने का प्रयास कर रहे थे। कुछ छात्र अपने प्रवेश पत्र से अपनी सर को ढक रहे थे कुछ छात्रों के पास अपना स्टोल था और दोस्त से बचने के लिए नाना प्रकार के प्रयास कर रहे थे । मैं और मेरा दोस्त थी पसीना पोंछ रहे थे तभी सामने वाले नोटिस बोर्ड पर एक कलेक्ट ने m.a. के रोल नंबर है रूम नंबर की सीट चिपकाई और सभी लोग अपना रोल नंबर सीट में ढूंढने में लग गए। मेरे दोस्त ने भी अपनी सिस्टर के रोल नंबर ढूंढे और उसे बताए। अचानक वहां से भीड़ हटने लगी दो लड़कियां स्कूल तक पर सवार होकर नोटिस बोर्ड की तरफ जा रही थी जबकि वहां स्कूटर पर सवार होकर आने पर पाबंदी थी। सभी छात्र उनको देख रहे थे शायद वह दोनों बहने थी। जब मैंने उस स्कूटर पर पीछे बैठी लड़की को देखा तो दंग रह गया क्योंकि वह लड़की पैरों से अपाहिज थी और वह अपने का एग्जाम देने आई थी। पीछे पीछे एक औरत हाथ में बैसाखी दी आ रही थी और मैं उस लड़की को देखता रहा। स्कूटर मेरे सामने आकर रुका सभी उस लड़की की तरफ देख रहे थे । उस लड़की की मां उसके पास और उसे बैसाखी दी और स्कूटर से उतरने में उस लड़की की सहायता करने लगी । लेकिन आगे जो हुआ उसे देखकर मैं और सभी दंग रह गए । उस लड़की ने अपनी मां को उसकी सहायता के लिए मना कर दिया। और इस स्कूटर से उत्तर कर अपने रोल नंबर की तरफ बढ़ने लगी । यह देख कर मेरे अंदर भी एक नई आश जगी । उस लड़की के जोश और जुनून को देखकर एक बात मेरे दिमाग में बैठ गई कि हमें अपने जीवन में किसी और की सहायता नहीं लेनी चाहिए । हमें हमारा काम खुद करना चाहिए सलाम है उस लड़की को सलाम उसके उस जज्बे को । काश उन लोगों के पास वह जज्बा वह जुनून होता जो असफल होने के बाद अपना जीवन खो देते हैं और कायरों की तरह आत्महत्या कर लेते हैं। हमें ऐसे लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है जो अपने आप में ही एक पूरे विश्व का स्वरुप लेकर घूमते हैं । अंत में यही कहूंगा शायद हमें दूसरों की मदद लेनी पड़ी या फिर करनी पड़े तो कभी पीछे मत हटो हमें लगे कि हम यह काम कर सकते हैं तो कभी भी दूसरों की सहायता मत लो तो एहसान जिंदगी भर के लिए हमारे ऊपर कर्ज के रूप में बैठ जाता है फिर हम हमारा काम खुलकर नहीं कर सकते।





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गधों की राजनीती

नोटबंदी पर भी राजनीती हो गयी,
कैशलेश इंडिया की बात चल गयी।
देखो नोटों की राजनीती भी कैसी ही गई,
पहले लाल नोट एक हजार के थे,
अब दो हजार के नोट गुलाबी हो गये।
कैसा है देश हमारा देश का किसान मर रहा है,
नेता गधो पर राजनीती कर रहा है।
सर्जिकल स्ट्राइक की पाकिस्तान की हवा टाइट की, यह जनता मानती है,
लेकिन कौनसा नेता कैसा है यह भी जनता जानती है।
जिस तरह कृषक कार्तिक में चेताता है,
जनता ऐसे ही इस बार चेतायेगी,
रामकंवार यही कहता है जनता भ्रष्ट नेताओ से देश को बचायेगी।
up की राजनीती पर कुछ नजर डालते है-
up की राजनीती तो देखो बाप बेटा अलग हो गये,
sp - कांग्रेस एक हो गये।
bjp-bsp दोनों कराह उठे,
sp-कांग्रेस भाईचारा बांट रहे है।
खुद sp के नेता ही तो बोल रहे है पैर पर हमने कुलाड़ी हमने मार ली,
जो कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात कर ली।
अचम्भा तो हमे कल हुआ जब चुनावो का परिणाम आ गया,
गधों और साईकिल की रेस में हाथी बेचारा कुचल गया,
साईकिल थोड़ी देर चली और पंचर हो गयी लेकिन गधा बाजी मार गया।


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उनकी याद

कुछ दिन बीत गए याद उनकी हमें आई,
क्या पता उनको हमारी याद आई या ना आई।
वह क्या दिन थे उनकी यादों में गुजर गए,
वो दिन से लेकर शाम तक उनके चेहरे को देखने में चले गये।
पता नहीं चला था शाम का ना सुबह का ठिकाना रहा,
बस देखते रहे उनके चेहरे को वह भी क्या जमाना रहा ।
हम उनको कुछ और बना बैठे थे उन्होंने हमको यार बना लिया ,
क्या यह प्यार था पता नहीं चला उन्होंने हमें कुछ और बना लिया ।
याद उनकी आती रही वह भी दिल में यूं आते रहे ,
बचपन से लेकर आज तक बस वही हमें जगाते रहे ।
उनके सपने आते थे मीठे पानी की नदी की तरह ,
आंख खुलते ही मिल जाया करते थे खारे पानी के सागर में डेल्टा की तरह ।
क्या था उनकी यादों का वह जल,
अमृत हमें लगता था।
उनकी यादों के साथ अब जीना है ,
क्या पता वह आएंगे या नहीं बस एक बार जिंदगी में उनसे मिलना है।
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